परमधाम की सृष्टी संस्कार संरचना में आपका स्वागत है। महानुभाव जनों ईश्वर की सबसे अनुपम रचना हम सब अर्थात मानव को माना गया है।
हमारी चेतना और बुद्धी ही हमें सब जीवों से अलग बनाती हैं। इस सतत विकास की प्रक्रिया में मनुष्य का अद्भुत योगदान रहा है
लेकिन इस धरा के संतुलन को बिगाड़ने में भी मानव के विवेक हीन कार्य ही काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
इस बदलती जीवनशैली ने मानव और मानवता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
परमधाम संस्थान ने कई सालों तक जीवन सार और सृष्टी विकास पर गहन अध्ययन कर ये पाया कि भौतिक विकास को संपूर्ण विकास नहीं कहा जा सकता है।
परमसुख और परमआन्नद के लिए हम सबको अपने बाहर और अपने अंदर परिवर्तन करना आवश्यक है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
इसलिए सभ्य समाजिक संरचना ही उसके जीवन को सुखमय बना सकती है। स्वस्थ शरीर चैतन्य मन और मधुर रिश्तों के परीवेश में ही
एक बेहतर जीवन की कल्पना की जा सकती है। परमधाम संस्थान द्वारा आयोजित शिक्षा, योग, साधना, आस्था और अनुशासित जीवनशैली
जैसे कार्य लोगों के जीवन में सार्थक बदलाव ला रहे हैं। जन जन में जीवन सार की ये अलख जगाने की यात्रा में आपका हार्दिक स्वागत है।