जीवन परिचय
परम गुरु राधेश्याम जी का जन्म 2 सितंबर 1985 को भारत के हरियाणा प्रांत के हिसार के सीसवाल गांव में हुआ। सीसवाल एक पवित्र तीर्थ स्थल है। महाभारत काल से भगवान शिव की अनुपम कृपा इस पावन जगह पर रही है। परम गुरु राधेश्याम जी का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। दिव्य परिवेश में जन्मे राधेश्याम जी का अध्यात्म की दुनिया से परिचय उनके दादा जी ने करवाया। परिवार की पृष्ठभूमि पूरी तरह से धार्मिक आचरण वाली रही है। पांच भाई बहनों में राधेश्याम जी सबसे छोटे थे इसलिए सबका दुलार और स्नेह उन्हें भरपूर मिला,विशेषकर उनके दादा श्री मामराज जी का, जिन्होने बचपन में ही राधेश्याम जी को धार्मिक महत्व और आध्यात्म का ज्ञान देना शुरु कर दिया था। जिज्ञासु राधेश्याम जी भी इस ज्ञान गंगा की गहराई में उतरते ही चले गए । समय के साथ राधेश्याम जी की बढ़ती उम्र में ये ज्ञान कोष और भी विराट विशाल होता चला गया। अनवरत अध्ययन और जनसेवा की मंशा ने राधेश्याम जी को परम गुरु राधेश्याम जी के मुकाम पर पहुंचा दिया। कई सालों के शोध और तपस्या से अर्जित इस ज्ञान को परम गुरु अब पूरे विश्व को वापस लौटाने के पथ पर अग्रसर हैं।
परम सिद्धांत
निराशा और बुराई के अंधकार का आकार कितना भी विशाल क्यों ना हो चेतना की एक छोटी सी किरण उसे पूर्णत: मिटाया जा सकता है। परिवर्तन की इस यात्रा में सकारात्मक सोच और अभ्यास ही सबकुछ हैं। अभ्यास ना केवल अनुभव देता है बल्कि परिवर्तन की इस अनुपम यात्रा पर लगातार आपको आगे बढ़ाता है। परमधाम संस्थान के स्वयं सापेक्ष के परम सिद्धांत से समय समय पर आप अपना आंकलन और अवलोकन कर सकते हैं।
परमधाम परिचय
ये पूरा ब्रह्मांड ऊर्जा से संचालित होता है। ऊर्जा के लिए ये माना जाता है कि ये ना उत्पन्न होती है ना ही समाप्त होती है ये अनवरत रुपांतरित होती रहती है। ऊर्जा के इस रुपांतरण और संचरण का प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। मानव जीवन का कई तरीके से इस ब्रह्मांड से संवाद होता है। ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जा के कई आयामों को काफी हद तक समझने और साधने में मनुष्य कामयाब भी हुआ है। मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए जीवन सार को समझना आवश्यक है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर आज तक विद्यामान और पुरातन जीवंत पहलुओं को समझने कि प्रयोगशाला है परमधाम। परमधाम मनुष्य जीवन को मूल्यवान बनाने हेतू जरुरी पद्धतियों पर लगातार शोध कर रहा है। आध्यात्मिक और शारीरिक शक्तियों के बोद्ध के साथ-साथ ईश्वर और ईष्ट के साथ हमारे संबंधों पर अनवरत अध्ययन जारी है। परम धाम में मनुष्य जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए जरुरी अभ्यासों को व्यवहारिक तरीके से समझाया और सिखाया जाता है।