परम सिद्धांत

निराशा और बुराई के अंधकार का आकार कितना भी विशाल क्यों ना हो चेतना की एक छोटी सी किरण उसे पूर्णत: मिटाया जा सकता है। परिवर्तन की इस यात्रा में सकारात्मक सोच और अभ्यास ही सबकुछ हैं। अभ्यास ना केवल अनुभव देता है बल्कि परिवर्तन की इस अनुपम यात्रा पर लगातार आपको आगे बढ़ाता है। परमधाम संस्थान के स्वयं सापेक्ष के परम सिद्धांत से समय समय पर आप अपना आंकलन और अवलोकन कर सकते हैं।

परमधाम परिचय

ये पूरा ब्रह्मांड ऊर्जा से संचालित होता है। ऊर्जा के लिए ये माना जाता है कि ये ना उत्पन्न होती है ना ही समाप्त होती है ये अनवरत रुपांतरित होती रहती है। ऊर्जा के इस रुपांतरण और संचरण का प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। मानव जीवन का कई तरीके से इस ब्रह्मांड से संवाद होता है। ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जा के कई आयामों को काफी हद तक समझने और साधने में मनुष्य कामयाब भी हुआ है। मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए जीवन सार को समझना आवश्यक है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर आज तक विद्यामान और पुरातन जीवंत पहलुओं को समझने कि प्रयोगशाला है परमधाम। परमधाम मनुष्य जीवन को मूल्यवान बनाने हेतू जरुरी पद्धतियों पर लगातार शोध कर रहा है। आध्यात्मिक और शारीरिक शक्तियों के बोद्ध के साथ-साथ ईश्वर और ईष्ट के साथ हमारे संबंधों पर अनवरत अध्ययन जारी है। परम धाम में मनुष्य जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए जरुरी अभ्यासों को व्यवहारिक तरीके से समझाया और सिखाया जाता है।

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योगा टीचर

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वॉल्न्टियर

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सहयोगी ग्रुप

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विशेष कार्यक्रम

सखा विचार

जब रिश्ते बोझ लगने लगें,हर कोई स्वार्थी नजर आए तो समझ लो कि अब अंतर्निहित अन्नत यात्रा पर जाने का समय आ गया है। धन्यवाद परमधाम"

रती राणा

आध्यात्म सिर्फ सुनने की चीज नहीं है ये समझने की और अनुभव करने का भाव है। मैं अपने इस संतुलित जीवन के लिए स्वामी जी का धन्यवाद करता हूं

अमन मुंजाल

अंधकार के विचार से सिर्फ अंधकार पनपता है और रोशनी के विचार से जीवन का इंद्रधनुष आकार लेता है।कल तक मैं सिर्फ निराशा की बातें करती थी लेकिन अब मेरा आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है। धन्यवाद टीम परमधाम

प्राची गुप्ता

मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे परमधाम के योगा कार्यक्रम का हिस्सा बनने का मौका मिला। 7 दिन के सेशन के बाद मेरा दुनिया को देखने का नजरिया बिल्कुल बदल गया

कुंजल गौतम

जब तक कोई बात पूरी तरह से तार्किक ना हो मैं नहीं मानता,लेकिन अभ्यास के बाद ही हमें किसी निर्णय पर पहंचना चाहिए। भगवद गीता का नया रुप सरल और सुखद है

कनकराज तिवारी