ना मैं गुरु ना तू शिष्य

हम सभी परम हैं, हम सभी विशिष्ट हैं इसलिए ना मैं गुरु ना तू शिष्य बस सहचर बन साथ चलना है। गुरु की करनी गुरु भरेगा और चेला की करनी चेला अर्थात गुरु चेला सब कर्म की निगाह में बिल्कुल समान हैं। आज भी हर मजहब,हर समाज हर समुदाय में जीवन की सही राह दिखाने वाले पथप्रदर्शक गुरु मौजूद हैं। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज के समय में समाज में बहुत से ऐसे पाखंडी मनुष्य हैं जिन्होने मासूम समाज पर अपना अंधविश्वास का शिकंजा बना रखा है। ये तथाकथित गुरु जो खुद को ईश्वर से कम नहीं समझते, ये ना सिर्फ ज्ञानी होने का ढ़ोंग करते हैं बल्कि धर्म के नाम पर कई तरह के स्वांग भरते हैं। परम गुरु राधेश्याम जी मासूम समाज को इन पाखंडियों से बचाना चाहते हैं। परम गुरु राधेश्याम जी इस अंधविश्वासी गुरु शिष्य परंपरा प्रति लोगों को जागरुक कर रहे हैं।