“क्यों कि मैं ही तू हूं” सदियों पहले भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता उपदेश की ध्वनी पूरे ब्रह्मांड में विद्यमान है। समय के साथ इसकी व्याख्या भी की जाती रही है
लेकिन बदलते परिवेश में इस सृष्टि सार को सभी लोगों के लिए समझना आसान नहीं रहा। गीता सार को बदलते समय की प्रासंगिकता के आधार पर जनमानस को
सरलता से समझाना पूरी तरह से संभव नहीं हो पाया था। तब परम गुरु राधेश्याम जी ने इस समस्या का निदान करने का संकल्प लिया। परम गुरु राधेश्याम जी ने कई सालों
तक ना सिर्फ श्रीमद् भगवद गीता का गहन अध्ययन किया बल्कि वो लगातार इस दिव्य ज्ञान पर शोध करते रहे। कई दिनों की मेहनत और रातों की तपस्या के बाद
परम गुरु राधेश्याम जी इस सार को पुस्तकों के रूप में संकलित करने में कामयाब हो पाए। हर धर्म से जुड़े पवित्र ग्रंथ इंसान को सच्ची राह पर चलने की शिक्षा देते हैं सभी ग्रंथों
में गीता सार की झलक प्रतीत होती है। इसलिए परम गुरु राधेश्याम जी का ये ज्ञान संकलन आम जन तक पहुंचाने के लिए एक धारावाहिक श्रृंखला की प्रस्तुति की जा रही है।
इसके हर एपिसोड में आम जीवन से जुड़ी प्रासंगिकता को आधार बनाकर पेश किया जा रहा है। इस श्रृंखला में अष्ट वक्र गीता ज्ञान विशेष रुप से उल्लेखनीय है।