सम साधना परम योग

एक अभ्यास जो मानव को साधना से चेतना तक की अद्भुत यात्रा पर ले जाता है। जब मनुष्य स्वयं को साधने के लक्ष्य के साथ इस परम यात्रा पर निकलता है तो इसकी शुरुआत अपने मन को साधने से करनी होती है। अनुशासित साधना की ये यात्रा तन के माध्यम से मन तक पहुंचती है और बदलते व्यवहार पर ठहर कर आपका पूरा जीवन बदल देती है। परम गुरु राधेश्याम जी ने सालों के शोध और अभ्यास से एक ऐसी योग साधना की खोज की जिसको करना बेहद आसान है और इसका परिणाम उम्मीद से बढ़कर। स्वयं सापेक्ष का परम सिद्धांत ही इस योगा अभ्यास का मूल मंत्र है। स्वयं सापेक्ष का परम सिद्धांत अर्थात स्वयं की तुलना स्वयं से ही करना। स्वयं के बदलाव को,स्वयं के विकास को लगातार अंकित करते जाना और मनुष्य का एक चैतन्य मनुष्य के रुप में अग्रसर हो जाना।



Note : आश्रम में आंगुतकों को आविर्भाव योगा की पूरे मास की समय सारणी उपलब्ध करवाई जाती है। जो दर्शक डिजिटल माध्यम से सम साधना परम योग का लाभ लेना चाहते हैं वो वेबसाइट से अपना स्लॉट बुक करवा सकते हैं।