अन्तर्निहित अन्नत यात्रा

मैं कौन हूं? यहां क्यूं हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या मैं साधन हूं या फिर केवल साध्य मात्र हूं? मेरे मन में इतने प्रश्न क्यों हैं? इन प्रश्नों का उत्तर कहां मिलेगा? मनुष्य के अस्थिर मन में उठते इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए आपको स्वयं के अंदर स्वयं को खोजना होगा। परम गुरु राधेश्याम जी धर्म कर्म की कसौटी पर आज के व्यवहारिक जीवन को परखते हुए मनुष्य जीवन सार को एक विषय के रूप में संकलित किया है। जिसका उद्बोधन वो हर सप्ताह अपने दर्शकों से साझा करते हैं। परम गुरु राधेश्याम जी का मानना है कि आपको इस शरीर रुपी पिंड में पूरा ब्रह्मांड निवास करता है।



Note : परम गुरु राधेश्याम जी के साथ अपने अन्तर्निहित अन्नत यात्रा मार्ग पर जाने के लिए अपना नाम हर महिने के पहले सप्ताह में आश्रम स्टाफ के पास दर्ज करवाएं।